मासूम पुकार
मासूम पुकार
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तितलियों सी कोमल हूँ मै,
मुझे तो बख्श दो जालिम,
किसी के आंगन का फूल हूँ मैं,
हवस का शिकार मत बना जालिम,
मेरी उम्र है खेलने की गुड्डे गुड़ियों से,
इस पर दाग मत लगा ऐ जालिम,
घर तेरे भी बिटिया आएगी,
उस जैसी ही मान मुझे भी जालिम,
जो तूने नोचा मुझ को और किया बेआबरू,
मासूम सी जान हूँ ये ही जान ले तू ज़ालिम,
खेलना, खिलखिलाना,चॉकलेट,जो खुशियां थी मेरी,
सब दर्द में बदले तूने जालिम,
ये मेरी पुकार है तुम सब से,
दो इन हैवानों को सज़ा ऐसी,
खुद खुदा भी कहे कि न बख्श गुड़िया इसको,
ये है जालिम, ये है जालिम, ये है जालिम।।।