Nayna Kapoor
Abstract
हां मैं थोड़ी ऐसी हूँ,
तुम जैसा सोचो मैं वैसी हूँ,
गुस्सा करती तुम पर,
माफी भी दूँ उस पल,
झूठा वादा छल दिखावा,
करती नहीं मैं तुम पर ,
प्यारी बातों को मैं सुनती ,
यादों में भी मैं तुमको छलती,
तुम जैसा सोचो मैं वैसी हूँ।।
मैं
उत्सव
इच्छा
लॉकडाउन
बेजुबान सच
मासूम पुकार
अब हमदर्दी दिखाये कोई तो डर लगता है ... जैसे भी है तेरी गलियों ने , अब हमदर्दी दिखाये कोई तो डर लगता है ... जैसे भी है तेरी गलियों ने ,
गड्ढों में जब मुसलाधार बारिश से पानी है भर जाता गड्ढों में जब मुसलाधार बारिश से पानी है भर जाता
आजकल जो चल रही है,यह तकनीकी रिश्तों की चाय करने लगी है,बहुत फीकी। आजकल जो चल रही है,यह तकनीकी रिश्तों की चाय करने लगी है,बहुत फीकी।
किस किस को समझूं, किस किस को समझाऊं, किस किस को समझूं, किस किस को समझाऊं,
बार बार बैठकर हरदम, अपनी फटी ही सिलते हैं। बार बार बैठकर हरदम, अपनी फटी ही सिलते हैं।
इसलिए बिन किए देर आ जाओ तुम, हो चुका है बहुत अब बरस जाओ तुम। इसलिए बिन किए देर आ जाओ तुम, हो चुका है बहुत अब बरस जाओ तुम।
सब ने मिलकर उस दिन का शहर सजाया, गहरी-गहरी रातों में जिसने जो देखा सो पाया। सब ने मिलकर उस दिन का शहर सजाया, गहरी-गहरी रातों में जिसने जो देखा सो पाया।
धराशाही होते देखें, हमने बड़े बड़े दिग्गज, अकस्मात ही भोर होना, पक्षियों का चहचहाना, धराशाही होते देखें, हमने बड़े बड़े दिग्गज, अकस्मात ही भोर होना, पक्षियों का च...
मेरे हौसले इतने भी कमजोर नहीं । मेरे हौसले इतने भी कमजोर नहीं ।
तकनीकी संग्रह के सम्मुख, पोथी बिके छदाम हैं।। सजे हुए मेले पुस्तक के, ऊँचे ऊँचे दाम है तकनीकी संग्रह के सम्मुख, पोथी बिके छदाम हैं।। सजे हुए मेले पुस्तक के, ऊँचे ऊँ...
एक और जन्मदिन आज मना लिया मैंने नहीं, आप सबके साथ मुस्करा दिया मैंने। एक और जन्मदिन आज मना लिया मैंने नहीं, आप सबके साथ मुस्करा दिया मैंने।
प्रेम बंधन हैं सबसे पावन सा ,जो आवे " श्याम " से पहले " राधे " नाम का । प्रेम बंधन हैं सबसे पावन सा ,जो आवे " श्याम " से पहले " राधे " नाम का ।
ज्वर विषम पीड़ा भरा हुआ है, जिसकी लपट से है विकल मन।। ज्वर विषम पीड़ा भरा हुआ है, जिसकी लपट से है विकल मन।।
थोड़ा सुकून मिलता था, लगता था मानो कोई उस गाँव के चबूतरे पर वापस हमारी कहानी सुनने थोड़ा सुकून मिलता था, लगता था मानो कोई उस गाँव के चबूतरे पर वापस हमार...
अनुभव संग खुशियों के पल होंगे और तब आप भी खुशी से झूम उठेंगे। अनुभव संग खुशियों के पल होंगे और तब आप भी खुशी से झूम उठेंगे।
लाख जतन करते हैं परन्तु ऐसा व्यक्ति हिंसक प्रवृत्ति त्यागने को तैयार नहीं हैं। लाख जतन करते हैं परन्तु ऐसा व्यक्ति हिंसक प्रवृत्ति त्यागने को तैयार नहीं है...
नजर गड़ाए हूं मैं, कभी तो ये मोमबत्ती पिघलेगी। नजर गड़ाए हूं मैं, कभी तो ये मोमबत्ती पिघलेगी।
बैठे हुए ही, इक दिन उठ जाता है। बैठे हुए ही, इक दिन उठ जाता है।
विज्ञापन के जाल में फंसे हैं। फंसाते है मार खाते हैं मर जाते हैं। विज्ञापन के जाल में फंसे हैं। फंसाते है मार खाते हैं मर जाते हैं।
तुम शायद अभी नहीं समझोगे। शायद तब भी नहीं... तुम शायद अभी नहीं समझोगे। शायद तब भी नहीं...