लॉकडाउन
लॉकडाउन
लॉकडाउन ने कुछ ऐसा किया कमाल,
कोई पड़ा रजाई में,कोई करता धमाल,
हुनर बन्द थे जितने वो चढ़े विमान,
कोई बना पेंटर कोई बाँटे योग ज्ञान,
जो तरसते थे मिलन को अपने बच्चों से,
वो आज खेल खेलते रौनक बिखेरते,
रसोई में भी स्वाद खूब बन रहे,
कभी बने साग तो कभी व्यंजन बन रहे,
लॉकडाउन में हम कुदरत को सँवार रहे,
सूर्य चाँद तारों को जीवन मे उतार रहे,
क्यों सोचते हो की है कैद घरों में,
सोचो कि है आजाद अपनो में।।।