मासूम मन
मासूम मन
मेरा मासूम मन करता है कि,
तुम्हें अपनी चाहत बना लूं।
दिल में जो भी छुपा रखा है,
वह आज ही तुमको सुना दूं।
अफसाने में गुजर न जाए वक्त,
इस पर अब लगाम लगा दो।
तुम बन जाओ मेरी चांदनी,
और मुझे अपना चांद बना लो।
दिल लगाने की आदत है मुझे,
मैं भंवरा हूं एक फुल बगिया का।
उड़ रहा हूं अंबर की फिजा में,
मेरा दिल है रंग रंगिया सा।
हम दोनोंं की बस एक महफ़िल हो,
प्यार के जाम हों और रंगीली शाम हो।
हिलोरें लेते हुए प्रेम के सागर में,
कृष्ण नगरी जैसा कोई था धाम हो।
