STORYMIRROR

Asha Gandhi

Drama

3  

Asha Gandhi

Drama

मासूम हँसी

मासूम हँसी

1 min
423

वक्त बदल गया है, कहते आये हैं, हर पीढ़ी के लोग 

कुछ भी तो मन का नहीं, रिश्ते भी बन गए हैं ढोंग l

 

कहते हैं, अपना ही ख़ून, अब पानी में बदल गया है ,

भावनाओं, आदर्शों का मूल्य, अब ख़त्म हो गया है l 


नदियों मे नूतन जल धारायें प्रवाहित हो रही हैं  

पुरानी परतें छोड़कर चट्टानें विखंडित हो रही हैं l 


इस परिवर्तनशील जगत में, आखिर कुछ तो शाश्वत है !

ग़मों की चट्टानों को चीरता कहीं तो, सुकून का मरहम है !


हजारों वर्षों की सम्पति से भी है जो अनमोल 

चेहरे की मासूम हँसी, मुस्कुराहट भरे, दो बोल 


सच ही तो है -

धरती पर मानो जन्नत बिछा देती है,

इक मासूम हँसी हर ग़म भुला देती है l 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama