माफ़ कर दे या खुदाया
माफ़ कर दे या खुदाया
भूल गया तुझे अपनी खुदगर्ज़ी में
ऐ खुदा जबसे इस दुनिया में आया
नाम तेरा लबों से हटता नहीं
आज जब तूने अपना कहर बरसाया
तेरी दी ज़िदगी को अपनी जायदाद समझा
तेरी बनाई दुनिया पर अपना ही राज समझा
उसको ही रुसवा किया जिसने रोशने जहां बनाया
हूँ बड़ा गुनहगार तेरा , माफ़ कर दे या खुदाया
अपनी लालच के नशें में तेरी कुदरत को उजाड़ा
तोहफे जन्नत के चेहरे को बेरहमी से बिगाड़ा
ज़मीं ही नहीं फ़लक को भी जाऱ-जाऱ रुलाया
हूँ बड़ा गुनहगार तेरा , माफ़ कर दे या खुदाया
करता रहा शैतानियाँ ,हर पल कई नादानियाँ
फिर भी सहता रहा तू अपने बन्दों की मनमानियाँ
हार के ज़िद से हमारी ,आईना हमको दिखाया
हूँ गुनहगार तेरा बड़ा, माफ़ कर दे या खुदाया
अपनी ताक़त के जुनूं में तेरी खिदमत को भुलाया
तेरी मेहरबानियों का बन खुदगर्ज़ , बेख़ौफ़ फ़ायदा उठाया
आज जब खतरें में है जां तो जुबां पे तेरा नाम आया
हूँ बड़ा गुनहगार तेरा, माफ़ कर दे या खुदाया!