इम्तिहान की घड़ी
इम्तिहान की घड़ी
मुश्किल है वक़्त आई इम्तिहान की घड़ी
थमने का नाम नहीं ले रही आंसुओं की झड़ी
बिछड़ गए न जाने कितनों के अपने
बिखर गए टूट के अनगिनत सपने
किसी की ज़िन्दगी का सफर रह गया अधूरा
किसी ने बड़ी मुश्किल से किया पार मौत का घेरा
कोई मुफ़लिसी का बन गया शिकार
तो किसी पे बहुत पड़ी भारी हालात की मार
वक़्त ने ली कुछ ऐसी करवट
हुई चकनाचूर टूट के इंसान की नख़वत
आ गिरे अर्श से फर्श पर बरबस
मानते थे खुद को खुदा जो अब तक
किस -किस के पोंछे आंसू,किस किस के थामे हाथ
किस -किस के बांटे दर्द ,जब हैरां कर रहे हालात
कैसी कश्मकश है ये न जाने है कैसी दहशत
लड़ते लड़ते हो रहे इंसा के हौसलें पस्त
एक ही सहारा अब ,एक ही है रहबर
दिन रात रहे नाम उसका ही लबों पर
रख भरोसा कर हौसला ,
थम जाएगा जल्द ही हादसों का सिलसिला
होता वही जिस बात में होती उसकी रज़ा
कई बार औलाद सीखें सबक मिलने पे सज़ा।