sukant suman jha
Abstract
माँ की पनाह में
पलता है हर
मासूम का बचपन।
फिर क्यूँ रे मानव ?
तू बड़े होकर ,
रख देते उस माँ
को किसी दूसरे घर।।
कशमकश की बस्त...
सफल जीवन का र...
माँ : एक अप्र...
आओ मिल कर वृक...
कोई ख़ंजर सा ...
बड़ी ज़ालिम ह...
सिपाही का घर
दुर्दशा
किसने यह चोट ...
कारवां गुजर ग...
अंतर्मन को 'देव' शरण स्थली बना ले खुशियों का त्योहार है जीवन इसे मना ले। अंतर्मन को 'देव' शरण स्थली बना ले खुशियों का त्योहार है जीवन इसे मना ले।
देश की चोटी पर ये, बड़े शान से लहराता है। देश की चोटी पर ये, बड़े शान से लहराता है।
किताबों, पोस्टरों और सोशल मीडिया के सहारे हैं। किताबों, पोस्टरों और सोशल मीडिया के सहारे हैं।
इस धरा पर अनगिनत पथ पर ना जाने कितने राही हैं। इस धरा पर अनगिनत पथ पर ना जाने कितने राही हैं।
तुम्हें एक नजर देख लेते तो हर जख्म भर जाते। तुम्हें एक नजर देख लेते तो हर जख्म भर जाते।
इस भारत की आबादी को मिटाने, क्या आयी किसी और शहर से बर्बादी। इस भारत की आबादी को मिटाने, क्या आयी किसी और शहर से बर्बादी।
मैं गुरुओं की प्यारी हो जाऊं मन करता है मैं गुरुओं की प्यारी हो जाऊं। मैं गुरुओं की प्यारी हो जाऊं मन करता है मैं गुरुओं की प्यारी हो जाऊं।
देकर देखो हमको भी माहौल छुने दो गोल। देकर देखो हमको भी माहौल छुने दो गोल।
क्यों तलाशते हो मुझे,अंजान नगरों में अभी तक अपने शहर में हूं मैं। क्यों तलाशते हो मुझे,अंजान नगरों में अभी तक अपने शहर में हूं मैं।
गद् गद् हुआ देश खुशी से तेरे सा दिलवाला देख। गद् गद् हुआ देश खुशी से तेरे सा दिलवाला देख।
उसे रोको वो ग़जल कर रहा है खबर नहीं उसे वो कत्ल कर रहा है। उसे रोको वो ग़जल कर रहा है खबर नहीं उसे वो कत्ल कर रहा है।
तुम भुला ना पाओगे , ये जानते है हम जिन्दगी साथ में जीने की खाये थे कसम तुम भुला ना पाओगे , ये जानते है हम जिन्दगी साथ में जीने की खाये थे कसम
मतलब की छाया पड़ते हुए.. इसलिए तो हम अंजान रास्ते पर ही ठीक है। मतलब की छाया पड़ते हुए.. इसलिए तो हम अंजान रास्ते पर ही ठीक है।
लफ्जों की आग में कितने रिश्ते झुलस गए, जो प्रेम से रहे वो गिरने से पहले सम्भल गए। लफ्जों की आग में कितने रिश्ते झुलस गए, जो प्रेम से रहे वो गिरने से प...
रुक जा ए बादल थोड़ी बातें तो कर मुझसे। रुक जा ए बादल थोड़ी बातें तो कर मुझसे।
पूर्णिमा वाले चन्द्रमा की तरफ से नजरें नहीं हटते। पूर्णिमा वाले चन्द्रमा की तरफ से नजरें नहीं हटते।
मैं रहूँ या न रहूँ, मेरे दुनियाँ से जाने के बाद हमेशा रहेंगी मेरी कविताएँ। मैं रहूँ या न रहूँ, मेरे दुनियाँ से जाने के बाद हमेशा रहेंगी मेरी कविताएँ।
रिमझिम- रिमझिम बूंद बरसती, लगी काले बादलों की लड़ी। रिमझिम- रिमझिम बूंद बरसती, लगी काले बादलों की लड़ी।
ख्वाईशों की बरसात लिखूँ... या जरूरत की कुछ बूँदे लिखूँ ... आख़िर क्या लिखूँ।! ख्वाईशों की बरसात लिखूँ... या जरूरत की कुछ बूँदे लिखूँ ... आख़िर क्या ...
समुद्र में मिठास की तरह हैं उनके बारे में, मैं क्या लिखूं। समुद्र में मिठास की तरह हैं उनके बारे में, मैं क्या लिखूं।