माँ
माँ
नौ माह पाला गर्भ में, मिली है तुझसे श्वास
रब को कभी देखा नहीं, तुझमें है विश्वास।
तिल-तिल तू मरती रही, पल पल निकली जान,
दर्द का जिक्र करे नहीं, माँ तू कितनी महान।
तू है पहली गुरु मेरी, तूने सिखाये बोल
तेरी भक्ति तेरी दया से, जीवन बना अनमोल।
तेरे हाथों में रहमत है, नजर में है वरदान
तेरी कृपा से दुर्योधन, मोम से बना पाषाण।
कृष्ण भी हैरान है, है दतात्रेय हैरान
अमृत के रूप में, किया जब स्तनपान।
तेरे बारे क्या लिखे, प्रवीण कुमार नादान
धन्य हुआ सारा जगत, पा रब से यह वरदान।
