STORYMIRROR

प्रवीण कुमार सोलंकी

Abstract Inspirational

3  

प्रवीण कुमार सोलंकी

Abstract Inspirational

सबका मालिक एक है बंदे, सबका मालिक एक

सबका मालिक एक है बंदे, सबका मालिक एक

1 min
345

सबका मालिक एक है बंदे,

सबका मालिक एक।


रास्ते सबके भले अलग हो

मंज़िल है सबकी एक।

      सबका मालिक एक है बंदे.....

आना जाना जीवन का फेरा

फंसा है इसमें हरेक।

      सबका मालिक एक है बंदे......

किसी के हाथ कुछ ना बंदे

ये सब है उसके लेख।

      सबका मालिक एक है बंदे.....

ये दुनिया है खेल तमाशा

तू अपना पासा फेंक।

      सबका मालिक एक है बंदे.....

जो जिसको चाहे उसको देखे

वो सबको रहा है देख।

      सबका मालिक एक है बंदे.....


सबका मालिक एक है बंदे,

सबका मालिक एक।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract