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Reetu Singh Rawat

Abstract

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Reetu Singh Rawat

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माँ

माँ

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माँ तेरी याद मुझे बहुत सताती है।

तू अब बहुत कुछ भूलने लगी है।

जहां तू रहती है वहां से तेरी

बहुत शिकायत आती है।

दर्द से सीना चीर जाता है।

जब शिकायत करने वाले

भूल जाते है।

कि हजारों ग़लतियाँ तूने उनकी

छिपाई है।

आज बुढ़ापे में तुझे जो सताएगा।

एक दिन वो भी बुढ़ापे में जाएगा।

उसको भी बिता वक्त याद आएगा।

तू आजा मेरे पास मैं जिंदगी भर साथ

निभाउंगी।

तेरी ममता का कर्ज कभी न चुका पाऊंगी---माँ 


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