माँ की ममता
माँ की ममता
मुझे तेरी याद बहुत सताती है।
ओ मासूम क्या तुझे मेरे आँचल की
याद आती है।
वो भी क्या वक़्त था जो तू एक पल भी
मुझसे जुदा रह नहीं पाता था।
सुबह दूध की पहली बोतल
मेरे आँचल में लिपटकर पीता था।
मेरी सुबह भी तेरे आँचल का
इंतजार करती थी
तुझे अपने हाथों से नहलाना और
तुझे भोजन करा कर जैसे प्रभु को
भोग लगा जाना।
तू मासूम, तू मेरे लिए ईश्वर का दिया
एक प्यारा सा खिलौना है
जो मेरी जिंदगी को रंगों से भर देता है।
आज तुझे मेरी याद नहीं आती पूछ लूँ तो
हजार बहाने तेरी मीठी सी ज़ुबान पर
आ जाते हैं
माँ की ममता की पहचान नहीं
आज भी तू मुझे छोटा सा ही लगता है।
कि अपनी गोद मे बिठा कर अपनी
ममता भरी आँखो से निहार लूँ।
तेरी बड़ी- बड़ी बातें मुझे समझ नहीं आती।
बस एक ही बात समझ आती है कि
तू मेरा अंश है।
चाहे जमाना कुछ भी कहे।
तू मेरा मैं तेरी माँ हूँ ये जान ले,
जब तक जिंदा हूँ।
तुझसे जुदा न हो पाऊँगी।
मर कर भी तेरी माँ फिर से बनकर आऊँगी।
