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Reetu Singh Rawat

Abstract

4.8  

Reetu Singh Rawat

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मजदूरी

मजदूरी

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मजदूरों का इतिहास पुराना है

अपना जीवन देकर तुम्हें अमीर बनाना है

मजदूर अब मजबूर हो गया है

मजदूर का खून अब पानी हो गया है


खुद झोपड़ी में रहकर

तुम्हारे लिए महल बनाया है

रात भर खेतों में हल चलाकर

तुम्हारे लिए अनाज उगाना है


लकड़ी काट कर तुम्हारे लिए पलंग बनाया है

खुद जमीन पर ही सो जाना है

तुम्हारी रजाई को सुंदर धागों से सजाना है

खुद फटी रजाई में ही सो जाना है


तेरी सूरत देखने के लिए शीशे पर फ्रेम चढ़ना ह

मजदूर शीशा देखते-देखते तुझे बूढ़ा हो जाना है

ईश्वर तेरी मूरत मिट्टी से सजाई है

मुझको एक दिन मिट्टी में ही मिल जाना है


एक मई को मजदूर अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाना है

जिसने चौदह घण्टे से घटाकर

आठ घंटे की मजदूरी और

मेहनत का दाम बढ़ाया है

उसके आगे दीपक नहीं जलाना है


मजदूर तेरी मजदूरी का घाटा तुझे ही चुकना है

फिर भी खुशी-खुशी मजदूरी पर जाना है

मजदूर तेरी मजदूरी का कर्ज

एक दिन सबको चुकाना है।

जय हिंद जय भारत।


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