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Jyoti Deshmukh

Inspirational

4  

Jyoti Deshmukh

Inspirational

माँ

माँ

2 mins
300



 

माँ घर का आरंभ है, माँ ही अंतिम छोर, संबंधों के बीच में माँ ही पक्की डोर 

माँ पेड़ की छांव जैसे प्यार का हो गाँव 

माँ ममता का आँचल जैसे स्नेह का कोई बजता वाद्ययंत्र 


माँ दुलार का पेड़ा जैसे दूध में हो मिश्री मेवा 

माँ तुम एसी थाती, जैसे कोई प्रेम की पाती 

माँ तुम शीतल छांव नहीं कोई दिल आहत है तुम सदा से एक ठण्डी पुरवाई 


माँ मुखड़ा, माँ अंतरा, माँ एक पूरा गीत, माँ स्वर की साधना, माँ सुंदर संगीत 

माँ रातों की लोरियाँ, माँ प्रातः का गीत, माँ जीवन की साधना, माँ जीवन की रीत 

अंधियारे में रोशनी, मुश्किल में विश्वास, माँ हर पल हमारे साथ 


माँ कर्कश धूप में तुम शीतल छांव हो थमी हुई जिंदगी में अविरल बहाव हो 

पग पग मिली सीख आती सदा ही मेरे काम तुम्हारे चरणों में निहित चारों धाम 


माँ तुम क्यों कहती हम बड़े हो गए असर तुम्हारी दुआ का है हम गिरकर खड़े हो गए 

हमारे सपनों को पूरा करने का तूने संकल्प लिया आखिर क्यों तूने खुद को ही विकल्प कर दिया 


रोली, चंदन, कुमकुम, हल्दी उबटन मेरी माँ घर भर में खुशबू सी फैली धूप अगरबत्ती मेरी माँ 


सुबह शाम के भजन कीर्तन और अजान है मेरी माँ, गुरु ग्रंथ हर पन्ने की गुरुवाणी है मेरी माँ 


इन्द्रधनुषी जैसी रंग बिरंगी मेरी माँ तपती दुपहरी हो जाती है कभी मेरी माँ 

पीपल की छांव घना सी नीम का कडुआ पता माँ 

घर आँगन की तुलसी जैसी, रक्षा करती मेरी माँ 


तीर्थ जो कहलाती धरा पर ऐसी मेरी माँ, चट्टानों से जो टकराती वो बहती एक झरना, एक सरिता है माँ 



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