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Gourav Khenchi

Drama

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Gourav Khenchi

Drama

माँ

माँ

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आँखें भी कमज़ोर हो गई उनकी ,

बात कभी न कहतीं अपने मन की !


24×7 काम कर लेती हैं ,

तनख्वाह ₹ 1 तक न लेती हैं !


बाल कभी थे उनके भी काले ,

पर हाथों पे भी अब पड़ गए छाले !


उंगलियां काम करते-करते अब उनकी कंपकपाई हैं ,

ख्याल हमारा रखते-रखते न जाने कितनी नींदें उन्होंने गँवाई हैं !


अभाव शब्दों का रह जायेगा ,

बारे में उनके पूरा न लिख पाउँगा !


कभी-कभी तो सपने बुरे आते ऐसे ,

नाकामयाबी मेरी झलके उनके रूखे हाथों पे जैसे !


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