माँ......
माँ......
ये ज़िंदगी के झमेले, झमेले में हम अकेले
ऐसे में एक आँचल, जो सुकून हमको देदे।
माँ रे माँ ओ माँ, कहलाती है जो माँ,
होती है, बच्चों की दिल और जाँ,
माँ रे माँ ओ माँ…..
देख जहाँ में गम भरा है
सबके जिगर का ज़ख़्म हरा है
सीने से तेरे सर को लगा के,
हाथों में तेरे हर मर्ज की दवा है।
माँ रे माँ ओ माँ…..
तुझ में खुदा की सूरत दिखी है,
तुझमे सारी खुशियाँ मिली हैं,
दोनों जहाँ में तुझ सा नही कोई,
दोनों जहाँ में, एक सत्य तूही है।
माँ रे माँ ओ माँ…..
मंदिर कभी जो कहीं बनाऊँ,
तेरी ही मूरत उसमे बिठाऊँ,
प्यार का तुझको जल करूँ अर्पण,
मन में पंकज, अरमान यही है।
माँ रे माँ ओ माँ…..
