माँ
माँ
माँ,
तुम्हीं से सीखा है हमने
प्रेम का पहला पाठ
अनादिकाल से तुम्हीं तो
चलाती आ रही हो ये संसार
तुम्हीं ने कराया ज्ञान
प्रेम सुधा के दान की
रहस्यमयता का
तुम्हारी शिक्षा से ही जान पाया
बुरा होता है प्रमाद
तुम्हीं ने कराया दर्शन
निस्तब्धता की सुन्दरता का
तुम्हारे ही अन्तर से
उपजा है हर नाद
तुम्हीं से जाना है
भावना का महत्त्व
क्या होता है कर्म,
किसे कहते हैं कर्तव्य।
ज्योतिर्मयी, तुम्हीं हो हमारे
जीवन का प्रकाश-स्तम्भ
अतिशयोक्ति नहीं यह, तुम हो
हमारी आत्मा का अवलंब।
