मां
मां
पल भर का प्यार पाने को मां बेटी तुम्हारी तरस रही।
देखो सूनी आंखों में मिलन की लाली बरस रही।
मायके जाने की बात को सुन मन ही मन देखो ललक रही।
मायके जाने से पहले मां की छाया से लिपट रही।
मां की मीठी बोली सुनने को धरा अतृप्त सी तड़प रही।
मां के अंक में समाने को अखियां बादल सी बरस रही।
विदा के समय सीने से लगी थी याद कर आज वह तड़प रही।
मां के आंगन की सोन परी आज बातों से है चहक रही।
बाबुल, भैया की याद में देखो भूख प्यास न तनक रही।
बचपन की यादों में खोई
मीठे संवाद सी लहक रही।
पल भर का प्यार पाने को मां बेटी तुम्हारी तरस रही।