माँ
माँ
नम कर जाते हैं आँखों को वो पुराने दिन,
वो बीते हुए दिन......वो सुहाने दिन,
हो कर बेफिक्र ....मैं जिया करता,
अपनी हर बात का माँ
तुझसे जिकर किया करता ,
मेरी बात सुन अक्सर
तुम मुस्कुरा दिया करती,
कोई गलती करता तो
मुझे समझा दिया करती,
मेरी तो सारी दुनिया थी
इक तेरी पनाह में,
चली क्यों गई तुम मुझे
छोड़ कर दूसरे जहाँ में,
लोग कहते हैं तू मर्द है
और मर्द कभी नहीं रोते,
पर माँ के लिए तो बच्चे लडका-
लड़की नहीं बस बच्चे होते
फिर क्यों अपने आँख के
तारे से मुँह मोड़ गई,
इस बेरहम मतलबी जहाँ में
तन्हा छोड़ गई।
