माँ
माँ
माँ, कैसे कहूँ मैं आपसे
कितना याद करता हूँ
पल-पल खुद को
आपके पास पाता हूँ मैं।
बचपन के वो दिन
जब आप मुझे
प्यार से दुलारती
आज भी याद आती है।
वो आपका डाँटना,
मुझ पर गुस्सा करना
अब भी मुझे रुला जाती है।
आपके आँचल में छुप जाना
छोटे भाई की जगह लेना
मेरे पीठ पर आपका थपथपी लगाना
खलता है मुझे उस पल का ये नजराना।
मेरी गलतियों को पापा से छुपाना
और हर रोज नए नए
राजाओं और परियों के किस्से सुनाना
ये सब याद आती हैं मुझे
बहुत याद आती है ।
माँ, कैसे बताऊँ मैं आपको
कितना याद करता हूँ
आज दूर हूँ आपसे
बहुत कुछ कमी महसूस करता हूँ।
सुबह में आपका मुझे उठाना
वक़्त की पाबंदी सिखाना
कभी खेलने से मना करना तो
कभी घूमने से मना करना
बहुत याद आती है आपकी, बहुत।
माँ, एक बार डाँटने आ जाओ
बस एक बार तो आ जाओ
देखो न, कैसे बिखरे पड़े हैं
सारे सामान मेरे
कुछ भी नहीं है अपनी जगह पर।
एक बात और माँ
थोड़ा सा सुधर गया हूँ
थोड़ा और सुधारने आ जाओ न, माँ।
आपसे विनती है मेरी
फिर से मुझे रातों में सितारों को गिनाकर
उनकी कहानी सुनाओ न, माँ।
बहुत याद आती है आपकी
कुछ पल के लिए मेरे पास आओ न, माँ।