माँ तू ही है और तुझसे है
माँ तू ही है और तुझसे है
जब साथ थे मेरे सब,
तब ना करता था तुझसे बात
शामे सारी मिलकर होती थी जब जमकर,
तू रोती थी मैं रेहता था खुश मिजाज
कहता था वक़्त नही है मेरे पास,
तू तरसती थी सुन ने मेरी आवाज
हाथ मिलते थे मुझे जैसे में था खास ,
पर रखती थी मेरी आस, कब सहेलाऊंगी,
मेरे माथे पर सुकून का हाथ
खुद में इतना मगन था नही आती थी तेरी याद ,
रोज फैला कर बाहे फासला मिटा ये रब,
मेरा और मेरे बेटे का ऐसी करती थीं फ़रयाद
जब हो गया खाली सा मैं,
अनजान हो गया ये जैसे कौन हूँ मैं
जिसको माना अपने वो हो गए पराये,
जिन्होंने की तारीफे वही करे ने लगे मेरी बुराई
पाया जब खुद को मोहताज़ ,
खुदा को पुकारा मुलाकात करदे माँ से
अब ना करा और इंतज़ार
छूट गया था मैं ,
ऊपर वाले ने लाया मुझको
तू ही करती थी माँ दुआ
देख मिलाया उसने मुझे तुझको
तू तो अब , तू ही है सब
तू तो सादगी , तूने दी ज़िन्दगी
तू तो जहाँ , तूने दिया नाम
माँ तेरा ही है मान,
तू ही है यहा महान
माँ तुझसे मेहेर,
तू ही तो रब मेहरबान
माँ तुझसे मिला नाम ,
तू ही तो रोशन इनाम
माँ तू ही है और तुझसे है
ये यकीन , तुझमे है मुमकिन,
माँ तू ही है और तुझसे है...
माँ तू ही है और तुझसे है...
माँ तू ही है और तुझसे है...
