ये खोके कदम मेरे खुद पे रोके
ये खोके कदम मेरे खुद पे रोके
जिसने दिया दगा उसको क्या मनाना है
खोके मैंने वफ़ा को खुद को पाया है
अब मैंने खुद को मान लिया है
इस जिद्द से खुद को जीतना है
था जब दो तरफा हर वक़्त होता मैं दफा
रोज कहता था खुदा को तू क्यों नही था बता
उसने कहा जान होकर ही रहा अनजान
देखते मिलते लोग हो रहे है बेईमान
तब जाके पता चला
था में खुद से लापता
हर यादो को मैं गया भूला
आखिरकार में हूँ खुद से मिला
जब हुआ धोखा मुझसे
तब जाके मिला मौका खुद को मिलने का
अकेला था किसी और लिए था फैला
मुरझाया सा हुआ फूल अब जाके है खिला।