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Pushkar Ki Kalam

Abstract

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Pushkar Ki Kalam

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भारत की आज़ादी

भारत की आज़ादी

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इस भारत की आबादी को मिटाने, 

क्या आयी किसी और शहर से बर्बादी 


फैला कर गयी बीमारी, 

और लेली जान हमारी 


हम नही चुप बैठ रहे,

थी जैसे राजाओ के जमाने फौज,

वैसे डॉक्टर , पुलिस , फौजी , कर्मचारियों से लेकर

हर छोटे से बड़े बुजुर्ग तैयार रहे

चाहे कुछ भी हो जाये 

कर के पालन 

थाम के मुट्ठी

एक दूसरे की

करेंगे हिफाज़त 

रोकेंगे हर इजाजत 

जो लाये मरण 

कुछ भी हो जाये

बचा के रहेंगे हमारा वतन 


इस भारत की आबादी को मिटाने,

क्या आयी किसी और शहर से बर्बादी 


फैला कर गयी बीमारी, 

लेने जान हमारी 


नही जताना हम है दुखी, 

भारत की फिरसे बढ़े आबादी


जिम्मा उठाया है साफ कर के लेंगे दम,

समान ना करते आये जैसे मैदान में

वैसे डटे रहेगे हम

चाहे हार गए हो पहली बार, 

पर जीते के रहेगे ये ही है वतन से प्यार

ना घुसने दिया किसी शातिर को

वैसे अब खुद पर या किसी आने देंगे इस महामारी को


पोछ चुकी है रब तक हमारी मन्नतो की बुलंदी,

नही आएगी किसी और शहर से बर्बादी 


निकल गयी ये बीमारी,

दिखाई बचा कर खुद और दूसरों की जान हमारी 


अब आ रही है लौट कर खुशी,

भारत की फिरसे बढ़ रही है आबादी

कोई छिन नही सकेगा भारत की आज़ादी। 



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