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Neha Yadav

Abstract

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Neha Yadav

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मां तेरा आंचल बहुत अच्छा लगता है

मां तेरा आंचल बहुत अच्छा लगता है

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अकेलापन कितना खलता है

मां तेरा आंचल बहुत अच्छा लगता है।


मां सुला लो न अपनी गोद में

ऐसा सुकून कहीं ना मिलता है।


तुम्हारी याद जब भी आती है मां

हरी भरी फुलवारी भी चुभती है।


मां सुला लो न अपनी गोद में

ऐसा सुकून कहीं ना मिलता है।।


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