मां सा मन
मां सा मन
कभी कभी मुझे लगता है
माँ सा मन हो तो
तो जाने कितनी
सामाजिक,राजनीतिक
और आध्यात्मिक उलझनों पर
प्रकाश पड़ेगा
और उनके समाधान का रास्ता
स्पष्ट दिखेगा।
जाने कितनी धारणाएँ जो
निर्मित है मन के बारे में
अंततः मन स्वीकार्य होगा
क्योंकि माँ का मन
कल्याण का मन है।
कभी माँ के मन से रूबरू
होने की कोशिश कीजिये
न हो सके तो कल्पना कीजिये
माँ से मन की
जो किसी स्त्री का भी सम्भव है
किसी पुरुष का भी सम्भव है
और वो मन तब आप को
कितना बदलने की डिमांड करेगा
यकीनन एक चमत्कारिक
रूपांतरण की।
स्त्री में पुरुषत्व की
पुरुष में स्त्रीत्व की
और अनायास माँ के मन से
रूबरू होते ही
मुझे उसकी बातें याद आती हैं
कि जब मैं अपने को ब्यक्त
करने के जनून में होता हूँ
तो अनायास मुझमें
स्त्री व्यक्त होने लगती है।