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Rajeev kumar Srivastava

Abstract Tragedy

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Rajeev kumar Srivastava

Abstract Tragedy

मां – मेरी मां

मां – मेरी मां

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इन हसरत भरी निगाहों में,

क्या क्या समाय बैठी है।

वो मां है,

कभी भी कुछ नहींं बोलती है।।


ओ मेरी मां।

आंख खुले तो भजन सुनाती, 

सोने के समय तु है लोरी गाती।

सबके बाद तु है सोया करती,

सबसे पहले तु है जाग जाती।


कैसा है ये तेरा वादा, 

हर किसी को है तु खुशी पहुंचती,

जब गम में तु होती है, 

तो सभी तेरे पास हो,

ऐसा भी तो तू नहीं मनाती।

मां ओ मां,

कैसा है ये तेरा वादा।

इन हसरत भरी निगाहों में,

क्या क्या समाय बैठी है।


वो मां है,

कभी भी कुछ नहींं बोलती है।।


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