माँ : मेरी जीवनरेखा
माँ : मेरी जीवनरेखा
एक माँ की अपने बच्चों के प्रति
त्याग और बलिदान को एक कविता में लिख
पाऊं उतना कहाँ मेरी औकात है,
ईश्वर का वह दूसरे रूप को हाथ
जोड़कर सत सत नमन
कर लूं बस इतनी सी बात है।
बच्चों को हर दुख कष्ट से
बचाने को वह हमेशा तैयार रहती है,
एक आंच भी न आए उन पर इसलिए
खुद की जान पर भी खेल जाती है।
ताउम्र बच्चों की रक्षा करती है,
हर मुश्किलों में वह उनके साथ ही खड़ी रहती है,
जब भी आए कुछ खतरा वह हमेशा बच्चों
के लिए कवच बन जाती है।
वही तो सब बच्चों को यह रंगीन
दुनिया से परिचित कराती है,
कभी डाँट कर तो कभी समझाकर
हमेशा सही रास्ता दिखाती है।
एक माँ अपने बच्चों के लिए
किसी फरिश्ते से कम नहीं,
उसके जीते जी बच्चों को कोई एक खरोंच
भी पहुंचा पाए उतना किसी में दम नहीं।
एक माँ ही होती है जो बच्चों को
कभी टूटकर बिखरने से बचाती है,
कभी उसका हाथ थाम कर तो कभी
उसे विपरीत परिस्थितियों में डूबने से बचाती है।
हमेशा कुछ न कुछ तो लिखता रहा
पर आज एक माँ के बलिदान को लिखने के लिए
मानो मेरे पास शब्दों का अकाल पड़ा है,
एक माँ ही अपने बच्चे के लिए सब कुछ है
क्या इससे भी कुछ बड़ा है ?