माँ ही है।
माँ ही है।
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जीवन देते वृक्ष को पोषण देती,
मिट्टी उसकी माँ ही है।
वृक्ष की टहनियाँ कली संभाले,
टहनी कली की माँ ही है।
कली एक पुष्प को जन्मे,
कली पुष्प की माँ ही है।
पंछी की उड़ान संग उड़े जो,
हवा भी पंछी की माँ ही है।
सूरज को जो ठंडा कर दे,
दुनिया की हर माँ ही है।
हवा की लहर बन जो मन महकाये,
ओस की ठंडी फुहारें माँ ही है।
मेरे अंदर मेरे दिल में,
मुझमें पलती माँ ही है।
दुःख छुपाती सुख दिखाती,
वो अभिनेत्री माँ ही है।
ना वह सोचे अपने बारे मे,
ऐसी स्वार्थी माँ ही है।
जिसके लिए मैं एक खजाना,
वह फकीर भी माँ ही है।
जन्नत दुनिया में देखी तो,
मेरी जन्नत माँ ही है।