मां बाप
मां बाप
हे मनुष्य एक बात तू बता
क्यों इतना हाँफ रहा।
अपने आस पास हर घर में
क्यों झाँक रहा।।
जीवन के आपाधापी में हर
कोई है भाग रहा।
जीवन के संकट से हर कोई है जूझ रहा।।
समस्याओं में मुझे और मेरे घर को
कौन सम्हाले हर किसी से पूछ रहा।
अब माता पिता को पास बुला लो
बस यही उपाय अब सूझ रहा ।।
गर हो जो माता पिता का अभिन्न
साथ जीवन के रण में।
नहीं पा सकते हो यह अनमोल सुख
तुम किसी भी धन से।।
हम सब है उनके प्यारे और लाडले राजकुमार ।
हम सब से करते हैं वो बहुत ढ़ेर सारा प्यार।।
कितने किये लाड़ और प्यार,
सब अरमान भी पूरे किये।
अब पूरे करो अरमान उनके,
इस बात को भूलना नहीं।।
लाखों कमाते हो भले,
पर माँ-बाप से वो ज्यादा नहीं।
सेवा बिना सब राख है,
मद में कभी फूलना नहीं।।
चाहे कितने बड़े बनो माता पिता
को भूलना नहीं।
निज संतान से तुम सेवा की चाहत करते ।
पर क्यों न संतान बन सेवा का मेवा भरते।
जैसी करनी होगी वैसी ही तो भरनी होगी।
भगवान के इस न्याय को तुम भूलना नहीं।।
सोई स्वयं गीले बिस्तर में,
तुम्हें सुलाया सूखे जगह।
माँ की ममतामयी आँखों को,
भूलकर कभी भिगोना नहीं