लॉकडाऊन जिंदगी
लॉकडाऊन जिंदगी
लाकडाऊन जिंदगी नहीं है आसान
वर्किंग वुमैनस की हो गई नींद हराम ।
वर्क एट होम प्लस होम इज़ होम
उसकी जिंदगी तो गई है पूरी होम ।
हालात से मज़बूर न बाई काम पर आए
न नौकरी भी ,वह भी गौरमैंट ,छोड़ी जाए ।
सुबह से शाम कई पाटों में पिसती हैं जिंदगी
फिर भी वर्किंग वुमैन कर लेती है समझौता ।
शिकायत किसे करे,जिसे देखो जवाब एक ही है
थक गया हूँ वर्क एट होम ,यार बहुत काम है ।
सोचती रहती हूँ सब वर्क एट होम कर रहे हैं
फिर वर्किंग वुमैन क्यों ज्यादा पिस रही है ।
सबकी फरमाइशें हर वक्त रहती हैं तैयार
घर की मालकिन का है हाल बेहाल ।
है प्रभु अब तो बस हो गई है हमारी
करोना को भगा जान बचाओ हमारी ।
लाकडाऊन में हमारी सैफ्टी बसी है
पर क्या करें हमारी अब बस हो गई है ।