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Nisha Nandini Bhartiya

Drama

3  

Nisha Nandini Bhartiya

Drama

लोकतंत्र में मतदान

लोकतंत्र में मतदान

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छोड़ पीछे बालपन को      

लोकतंत्र युवा हो गया।

लेकर बुद्धिजीवियों का साथ

पैरों पर अपने खड़ा हो गया। 

                                              

झांसे की चालें विफल हो गईं

लालच की पोटली धरी रह गई।

चार सौ बीस का ज्ञान हो गया

युवा आज बुद्धिमान हो गया।


छोड़ पीछे बालपन को

लोकतंत्र युवा हो गया।

मौसम अब बदलने लगा है

कमल पोखर में खिलने लगा है।


किसान अब अन्नदाता हो गया

हरेक राजनीति का ज्ञाता होगया।

छोड़ पीछे बालपन को

लोकतंत्र युवा हो गया।


अब न गलेगी दाल अंगूठे की

न पकेगी खिचड़ी हर किसी की।

नेता बनना अब स्वप्न हो गया

देश अब मेरा स्वतंत्र हो गया।


छोड़ पीछे बालपन को

लोकतंत्र युवा हो गया।

कचरा राजनीति का सफा होगा

सोच समझ कर फैसला होगा।


अब नोट छापना दूभर हो गया

स्विस बैंक अब बंद हो गया।

छोड़ पीछे बालपन को

लोकतंत्र युवा हो गया।


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