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Sunil Maheshwari

Abstract

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Sunil Maheshwari

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लोक कविता की व्यथा

लोक कविता की व्यथा

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आओ सुनाएं एक लोक कथा,

जिसकी सुनाएं फिर क्या व्यथा 

मोटर गाड़ी, साइकिल, घोडागाडी

बैलगाड़ी थी 

उस जमाने की रहीश खातिरदारी,

लोगों में भी था भाईचारा 

जो दिखता था,

सुकून में बडा़ प्यारा प्यारा 

हर जगह होती थी 

हरियाली,

और वो गुड़ की मिठास 

गुड़ से बनी चाय

और फिर प्याली 

अनूठे थे वो रिश्ते जिनकी 

कहानी कुछ और ही थी,

कुछ है अनसुनी तो कुछ 

दादी माँ की बातों सी नूरानी है।


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