लंगूर के हाथ अंगूर
लंगूर के हाथ अंगूर
लगे हाथ लंगूर के जब कोई अंगूर,
हो गया उसका सपना चकनाचूर।
लंगूर पे छाया ना जाने कैसा गुरूर,
खुद को श्रेष्ठ मानकर होने लगा दूर।
अब अंगूरी अंगूर की छाई है लंगूर पर,
उतरी लंगूर की आया होश ठिकाने पर।
चूस- चूसकर पी गया वो आते ही हाथ,
बच न पाया कुछ भी तो कौन देगा साथ।
अपनों से मिल के चलो मंजिल की है बात,
दिल मिले या ना मिले चलो मिलाओ हाथ।