लम्हें
लम्हें
एक लंबे अंतराल के बाद
खुशी का ठिकाना न रहा
जब अपने मिले !!
कुछ दिन से नासाज थी
तबीयत
लगता था कहीं
आखिरी न हो मेरा दिसंबर
पर अपनों से मिलकर
एकदम ठीक हो गया
स्वास्थ्य !!
तभी कहते हैं सब
गम जमाने में भरा पड़ा है।
औरों का गम बाँट लो हो सके !
क्या पता यह वक्त
दुबारा मिले या न मिले !!
होंठों पे हँसी बिखरे या न बिखरे
समेट लो जाते हुये लम्हों को
नव वर्ष में हम रहे या न रहें!
अपने-बेगानों से फिर कभी
शिकवा गिला करें न करें!!