लम्हे
लम्हे
जिंदगी इतनी महंगी भी नहीं कि,
कोई हमसे गम भी न बांट सकें।
जिंदगी इतनी सस्ती भी नहीं कि,
कोई हमें गमगीन कर सके।
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तेरी सीप- सी आंखों में सागर
और सागर में,
मोती नजर आए।
जिंदगी में ऐसे लम्हे,
कई बार आए।
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जैसे धागा अपने में,
एक-एक मोती पिरोकर,
सुंदर माला बन जाता है
वैसे ही मां का प्यार,
सबको बांधकर,
सुंदर घर बना देता है।