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लक्ष्य तय करो जीवन का

लक्ष्य तय करो जीवन का

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पंचभूत तन दो दिन का

लक्ष्य तय करो जीवन का

शैशव में मासूम रहें सब

सीखें हैं जीने का ढब।


धीरे-धीरे तन मुस्काए 

मन में चुलबुल शोखी आए

पथ पर मंथर कदम पड़ें

करतब करते लघु बड़े।

 

गतिमय जीवन निश-दिन का

पंचभूत तन दो दिन का 

लक्ष्य तय करो जीवन का।


सदाचार का पाठ पढ़ो

सुगढ़ प्रेम के तंत्र गढ़ो

करो बड़ों का तुम सम्मान 

बंधु!देव!मनुज-संतान !


छोटों पर वात्सल्य लुटाओ

खिलखिल करके गले लगाओ

मात-पिता ईश्वर का रूप

कृपा पाओ सर्वत्र अनूप।


लक्ष्य न भूलो परहित का

आनंद बढ़ाओ सद्चित का

ध्यान करो पावन चित्त का

पंचभूत तन दो दिन का।


लक्ष्य तय करो जीवन का 

मानव-सेवा परम धर्म है

जीने का तो यही मर्म है

अपना और पराया कर मत

गुरु के आगे मस्तक कर नत।


दिन भर में कर सहज पहल

पढ़ता रह साहित्य-पटल

ज्ञान, मान, पहचान पाएगा

जग तेरा गुणगान गाएगा।


नीड़ बना जोड़ तिनका

पंचभूत तन दो दिन का

लक्ष्य तय करो जीवन का।


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