लक्ष्मी जी, राखिये हमरो लाज
लक्ष्मी जी, राखिये हमरो लाज
लक्ष्मी माता के होते हैं कई एक रूप स्वरुप,
हर रूप की महिमा श्रद्धा होती विशेष स्वरुप !
आदि लक्ष्मी अर्पित करें, प्रथम दीप का दान,
ह्रदय बुद्धि शीतल करें व बढ़ाएँ सबका मान !
धन लक्ष्मी को दीजिये, आप दूजा दीपक दान,
भौतिक सुख सम्पन्नता,मिले मान व सम्मान !
कौशल प्रतिभा ज्ञान का, दीप है तीसरा दान,
विद्या लक्ष्मी जान कर, मनुज ने बढ़ाया मान !
अन्न बिना जीवन नही,तो अर्पित लक्ष्मी धान्य,
चौथा दीपक कीजिये, अब अक्षत लक्ष्मी मान्य !
पंचम संतती जानिए, लक्ष्मी जी जग आधार,
रचना प्रतिभा अरु कला, करे दीपक साकार !
छठे दीप का दान हो, तो धैर्य लक्ष्मी है नाम,
साहस बल विक्रम जहाँ, करते अद्भुत काम !
दीप दान सप्तम सुनो, बस यह उन्नति के धाम,
मात लक्ष्मी हित करें ,विजयदीप हैं इनके नाम !
दीप दान का अंत में करो, भाग्यलक्ष्मी सुनाम,
सूरद सम्पदा समृद्धि, इसके बहुतेरे हुए नाम !
अष्टम रूप लक्ष्मी के लिए, दीप जलाएँ आज,
पूरे वर्ष निश्चिन्त रहें, हमारे राखे देवी लाज !
