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RAJNI SHARMA

Tragedy

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RAJNI SHARMA

Tragedy

लिंग भेदभाव क्यों?

लिंग भेदभाव क्यों?

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सदा-सदा से प्रश्न हमारा ,

क्यों बेटा ,बेटी से प्यारा,

पुत्र जन्म पर खुशी मनाते,

पुत्री जन्में तो, मुंह लटकाते,

सदियों से देखा है हमने,

भेद पूर्ण व्यवहार तुम्हारा।

क्यों बेटा,बेटी से प्यारा।‌।

सदा-सदा-----------------

पुत्र बराबर समझा तो,

बेटी भी सब कर जाएगी,

दो-दो कुल की लाज बचाकर,

सर्वस्व शान बढ़ायेगी

कोई नहीं एक-दूसरे से कम,

सच मानो!

चाहिए बस भरपूर दुलार तुम्हारा।

फिर क्यों बेटा, बेटी से प्यारा।।

सदा-सदा----------------------

कांटों की राह पर चलकर,

स्थिर छाया सबको देती है

जन्म पूर्व फिर भी क्यों अस्तित्व खो देती है,

लिंग भेद बढ़ता ही जाता,

बेटी-बहन लुप्त हो जाएंगी।

दूर क्षितिज से उसने पुकारा,

क्यों बेटा बेटी से प्यारा।।

सदा-सदा-------------------

मत मारो मुझको जीवन दे दो,

मां की कोख से रही पुकार,

लिंग अनुपात में स्थिरता के लिए,                                                    देखने दो मुझको संसार।

साक्षी और सिन्धु बनकर,

ध्वज सर्वस्व लहरायेगीं।।

सदा-सदा---------------

मां, बेटे को महल दुमहले,                  

बेटी को बर्तन का काम।

झाड़ू-पोछा करके भी,

बाँच देंगी अक्षर तमाम।।

    


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