लिंग भेदभाव क्यों?
लिंग भेदभाव क्यों?
सदा-सदा से प्रश्न हमारा ,
क्यों बेटा ,बेटी से प्यारा,
पुत्र जन्म पर खुशी मनाते,
पुत्री जन्में तो, मुंह लटकाते,
सदियों से देखा है हमने,
भेद पूर्ण व्यवहार तुम्हारा।
क्यों बेटा,बेटी से प्यारा।।
सदा-सदा-----------------
पुत्र बराबर समझा तो,
बेटी भी सब कर जाएगी,
दो-दो कुल की लाज बचाकर,
सर्वस्व शान बढ़ायेगी
कोई नहीं एक-दूसरे से कम,
सच मानो!
चाहिए बस भरपूर दुलार तुम्हारा।
फिर क्यों बेटा, बेटी से प्यारा।।
सदा-सदा----------------------
कांटों की राह पर चलकर,
स्थिर छाया सबको देती है
जन्म पूर्व फिर भी क्यों अस्तित्व खो देती है,
लिंग भेद बढ़ता ही जाता,
बेटी-बहन लुप्त हो जाएंगी।
दूर क्षितिज से उसने पुकारा,
क्यों बेटा बेटी से प्यारा।।
सदा-सदा-------------------
मत मारो मुझको जीवन दे दो,
मां की कोख से रही पुकार,
लिंग अनुपात में स्थिरता के लिए, देखने दो मुझको संसार।
साक्षी और सिन्धु बनकर,
ध्वज सर्वस्व लहरायेगीं।।
सदा-सदा---------------
मां, बेटे को महल दुमहले,
बेटी को बर्तन का काम।
झाड़ू-पोछा करके भी,
बाँच देंगी अक्षर तमाम।।
