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Dr Priyank Prakhar

Abstract

4.5  

Dr Priyank Prakhar

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लिखो एक नई दास्तां

लिखो एक नई दास्तां

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लिख सको तो लिखो एक नई दास्तां,

फिर बुलाता है तुम्हें यार ये गुलिस्तां,

गर सोच हो बुलंद और इरादे हो जवां, 

चल सको तो चलो ले के एक कारवां।


उम्मीदों की हसरतों का एक बाग है यहां,

कर सको तो करो फिर कुछ तबदीलियां,

कर रहा हूं कब से इंतेज़ार बदलेगी फिजां,

बदल सको तो बदलो ये मौसम ए खिजां।


झूठ का फरेब का ही बस जिक्र है यहां,

मुल्क की यार किसी को फिक्र है कहां,

सुना सको तो सुना दो बस मीठी जुबां,

पढ़ सको तो पढ़ो फिर से भूली दास्तां।


इल्म अम्न की किस्से जहां होते थे बयां,

पहले के जैसी अब वो हर बात है कहां,

ले सको तो लो यार तुम बेशक मेरी जां,

पर ला सको तो ला दो प्यारा वो हिंदोस्तां।


चल सको तो चलो ले के एक कारवां,

गर सोच हो बुलंद और इरादे हो जवां, 

फिर बुलाता है तुम्हें यारा ये गुलिस्तां,

लिख सको तो लिखो एक नई दास्तां।



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