लहरों से खेलने वाले
लहरों से खेलने वाले
हम तो लहरों से खेलने वाले हैं।
हर तूफ़ान से भिड़ जाते हैं।
आए अर्णव में ज्वार भाटा चाहे जितनी
बीच मझधार में न कभी फंसते हैं।
साहस संग अपनी पतवार खेते हैं,
ऊँची लहरों को छूकर निकल आते हैं।
हम तो लहरों से खेलने वाले हैं।
आंधियों से न कभी घबराते हैं।
आंधियों के ज़ोर से लड़कर भी
निर्बलों की प्राण रक्षा कर पाते हैं।
अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं,
लोगों की दुआओं में स्थान बनाते हैं।