लगाम कस कर थाम
लगाम कस कर थाम
मन की लगाम कस कर थाम
गति यदि वश में न आये तो
सही दिशा में मोड़ देना अश्व
कह गए गीता में पार्थ से कृष्ण
मन की उद्विग्नता के हैं सब फेर
क्लांत मन में गहरे पैठता अंधेर
मन को साध पार्थ ना कर देरी
उठ कर्म पथ पर कर प्रभात फेरी
प्रथम मन को द्वन्द से मुक्त कर
फिर दुर्बल मन को स्वस्थ कर
सावधान सदैव यह स्मरण रहे
मनोबल से ही पाई जाती विजय