लगाकर सीढ़ी मेहनत की
लगाकर सीढ़ी मेहनत की
कर हौसले बुलंद
मंजिल को पाना है,
लगाकर सीढ़ी मेहनत की
आसमान तक जाना है।
ख़ून से सींचेगे मिट्टी अपनी
पसीने की परवाह नहीं,
रोक सके जो हम को
ऐसा कोई तूफान नहीं।
चीर के सीना तूफानों का
बादलों को मोड़ लाना है
लगाके सीढ़ी मेहनत की
आसमान तक जाना है।
जो अंधेरे को रोशन ना कर दे
ऐसी कोई मशाल नहीं,
भर रोशनी खुद में जुगनू जैसे
फिर अंधेरो की परवाह नहीं,
लगती हैं जो सितारों की
महफिलें आसमानों में,
उन्हीं सितारों के संग
हमें भी जगमगाना है।
लगाकर सीढ़ी मेहनत की
आसमान तक जाना है।
जो मोड़ ना सके कश्ती को
ऐसे तो हम मल्लाह नहीं ,
बिना मेहनत के मिलते
कभी तख्तो ताज नहीं।
रख इरादा लोहे जैसा
पर्वतों से टकराना है,
लगाकर सीढ़ी मेहनत की
आसमान तक जाना है।