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Beena Kandpal

Abstract

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Beena Kandpal

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लगा तुम आए

लगा तुम आए

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मेह की रिमझिम बूंदों की आहट,

 लगा तुम आए।

सोंधी सी खुशबू लिए, लिपटी जब हवा

 लगा तुम आए।


 मिट्टी पर पड़ी, बूंदों की सिकुड़न

 लगा तुम आए।

कली बन चली सुमन, महक उठा सारा उपवन 

 लगा तुम आए।


हवा के झोंकों से उठी, नीर में सिहरन 

लगा तुम आए।

न झपकी पलक, न है लटों की सुध 

अंजन भी अब तो बस चला,

लगा तुम आए।


पल्लव से फिसलकर, ओस जब धीरे से मुस्कुराई

लगा तुम आए।

इन डालों ने झूमकर, ली जो अंगड़ाई 

लगा तुम आए।


इंतजार के बोझ तले दबी जा रही ये पलकें

फिर भी नैनो ने न छोड़ी आस

फिर लगा तुम आए।

बस लगा तुम आए।


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