आज फिर वो सुबह याद आई
आज फिर वो सुबह याद आई
दिल में चुभन,
आंखों में नमी है,
आज फिर वो सुबह याद आई...
कुछ टूटा,
शायद कुछ छूटा
वो रेत से फिसलती डोर,
वो अश्कों का आईना
उस पर धुंधला सा तेरा अक्स
निचोड़ कर दिल को भर लिया आंखों में,
लगा दिया पहरा, पलकों की सांसो पर
गिरने न दिया, एक भी कतरा तेरे साज़ का
छिपा लिया अधरों पर, किस्सा तेरे अल्फाज का
समेट कर खुद को, तेरे साज़ में फिरो लिया
ख्वाबों में ही सही, तेरी धुन को गुनगुना लिया
भरी आंखों से फिर आज थोड़ा सा मुस्कुरा लिया
न लगी आंख,
बस तेरी जुल्फों की घटा छाई
आज फिर वो सुबह याद आई...
