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Shilpi Goel

Inspirational

4  

Shilpi Goel

Inspirational

लेखन कला

लेखन कला

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बैठे-बैठे मन में मेरे एक सवाल आया

लिखने की आदत से मैंने क्या पाया।

कुछ देर बाद ही दिल से यह जवाब आया

लेखन ने मुझमें आत्मविश्वास जगाया।

वक्त हमेशा एक सा कहाँ होता है

समाज के बंधनों को तोड़ना आसान कहाँ होता है।

पर तोड़ कर बंदिशें सारी

लिखने की जो की तैयारी

अपने आत्मविश्वास को सबसे आगे खड़ा पाया

हाथ थामकर मेरा मुझको लिखना सिखाया।

सोशल नेटवर्क पर थी एक प्रतियोगिता आयोजित

सोचा मैं भी कर कर देखूँ एक अदना सी कोशिश।

मैंने भी सहभागिता दर्ज कराई

जब विजेताओं की घोषणा की बारी आई

तब देखा जो अपना नाम सूची में

हर्ष और उल्लास से मैं फूली ना समाई।

जब-जब अच्छा किया मैंने

हमेशा ही प्रशंसा पाई

ना जाने कितनी ही बार मैं भी प्रथम आई।

नहीं सीखा झूठी तारीफों से चने के झाड़ पर चढ़ना

ऐसी नसीहतों को सब अपने जीवन में अपनाना।

दूसरों की कामयाबी लगती है आसान बड़ी

मगर कामयाबी नहीं मिलती रास्ते में पड़ी।

अनेकों ख्वाब दिखा इन आँखों को

उन्हें हकीकत में बदलना सिखाया।

कभी गलतियाँ समझाई स्वयं को

कभी हँस कर खुद ही गले से लगाया।

नाचती गाती लहरों की तरह

ना जाने किस ओर से लेखन मेरे जीवन मेें आया

विवेकशील होने का पाठ पढ़ाकर

मेरे जीवन मेें प्रकाश का एक अनूठा दीप जलाया।


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