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Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

3  

Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

लड़ाई छोड़ दूं?

लड़ाई छोड़ दूं?

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लड़ाई.....

छोड़ दूं......?


मैं किस-किस से लड़ूंगा

इस समाज के ,

उस हिस्से से लड़ूं?

जिसमें औरत 

और मर्द के लिए 

अलग-अलग मापदंड हैं । 


जहां औरत आज भी ,

अपनी पहचान की पबंध है ।


बेटियां काबिल 

होकर भी ,

बाप पर बोझ हैं ।


बेटी बचाओ की आड़ में ,

बेटी न हो,

आज भी यही सोच है।


 बलात्कारी की पैरवी में ,

 झूठी गवाही चलती है ।


झूठी शान के लिए ,

प्यार की बलिबेदी पर, 

आज भी बेटियां चढ़ती हैं।


मैं किस -किस लडूंगा?

समाज के ,

उस हिस्से से,

उन औरतों से लड़ूं


जो अपनी आजादी का ,

नाजायज फायदा उठाती हैं।


रिश्तो को,

तार-तार कर जाती हैं ।

कानूनी दांव-पेचों से ,

पुरुषों को हराती हैं । 

अपने फायदे निकालने के लिए दहेज, 

बलात्कार, 

अत्याचार के झूठे 

मुकदमे करती है।


मैं किस- किस से लडूंगा?


या समाज की,

उस सोच से लडूं। 

जहां कोई बोलता ही नहीं 


समाज ,,,,,,,,,,,,,क्या कहेगा???

प्रताड़ना सहते रहते।


वो ...............औरत हो 

या मर्द समाज के डर से ,

जब कह नहीं पायेंगा। 

अपने हालातों से,

कैसे निकल पायेंगा।

खुद को खुद में,

दफन कर जायेंगा।


मैं किस किस से लडूंगा।


समाज के,

उस हिस्से से लडूं।

हिन्दू-मुस्लिम,

भेदभाव से भरे ,

आरक्षण के अंधकार से।


किस से कहूँ......

ना नाश करें ।

इन्सानियत पर,

भरोसा करें।।


समाज में,

 किस-किस से लडूं ।


जहां जुबाने हैं ।

सबकी दो धारी ।


किसी के दोस्त नहीं ,

दिलों में है दुश्मनी भरी ।

हर एक के मुंह पर ,

उसके जैसे हो जाते है।


हम क्यों बुरे बने ।

यह कह जाते है ।।


मैं क्या -क्या कहूं -------।

मैं किस किस स से लडूं।


उस प्रशासन से लडूं ।

जिसमें देश की,

अहमियत से बड़ी,

 सियासत हो जाती है ।

वोट को लेने के लिए,

चोर बाजारी हो जाती है ।।


उन स्कूलों से लडूं ,

जिनमें मां सरस्वती की ,

नीलामी हो जाती है ।


उन लोगों से लडूं। 

जो चंद पैसों के लिए ,

जिंदगी में मिलावट कर जाती है।


या फिर

अपनी सोच से लडूं। 

छोड़ दूं ।

यह सोच .......क्यों 

बार-बार 

मेरी सोच पर ,

भारी हो जाती है।



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