लौट कर ना आना
लौट कर ना आना
अब की बार गए तो फिर
लौट कर ना आना
सावन में आते हो पतझड़
दे जाते हो
बिलखता छोड़ जाते हो
तुम करके बहाना
अब की बार गए तो फिर
लौट कर ना आना
जो देखे ख़्वाब इन आँखो से
इन्हे आँखो में ही रहने दो
गर अश्क आँखो में भर गए तो
जगह ख्वाबों की ले लेंगे
बह जायेंगे ख़्वाब
अब मुझे यूं ना रुलाना
अब की बार गए तो फिर
लौट कर ना आना
कोई शिकवा नहीं तुमसे
ना कोई शिकायत है
हमें तुमसे हर्गिज़ नहीं
तुम्हारी रूह से मोहब्बत है
इरादा नहीं तुम्हें पाने का तू
मेरी रूह में समाया है
प्यार करता है कोई इतना
ये सोचकर ना तुम इतराना
अब की बार गए तो फिर
लौट कर ना आना.....