लाल गुलाब
लाल गुलाब
जब कभी देखता हूँ लाल गुलाब
तब तरंगित हो उठता है तन मन
मुस्कुराने लगती है मन मयुरा
और तेज हो जाती है धड़कन
स्मृति आने लगती है भूत
और एक साथ कई परीकथा
याद आने लगती है पर्दे वाली खिड़की
बगल से गुजरने वाली लड़की
खांस कर उपस्थिति की दी गई संकेत
पाजेब के छम-छम की आवाज
कचरे की जगह गिरा देना इक पूर्जी
और उसे चुपके से उठा लेने की हड़बड़ी
स्मृति आने लगती है 14 फरवरी
घरवालों से बचकर
की जानेवाली गुलाब की तस्करी
स्टेशन पर बिकने वाली
वशीकरण मंत्र की किताब
और उसे अनुसरण करने में की गई गड़बड़ी
स्मृति आने लगती है काॅपी की बनी डायरी
उसमें लिखी गई समसामयिक शायरी
किताब में रखी सूखे लाल गुलाब की पंखुरी
उनके दिये रुमाल पर खोजना चिन्ह अंजुरी
बेवजह मुस्काना पुलकित तरंगित रहना
जैसे आ गई हो सूखे आम्र गाछ में मंजरी
दर्शनार्थ घंटों खड़ा रहना
ट्रैफिक पुलिस की तरह
चौराहे पर
बेतुकापन की हदें पार कर
उनके नाम का टैटू छपा लेना
कलाई पर
न मिलने पर खुद की बाल नोचना
जैसे खो गया हो कोई अमूल्य निधि
कुछ अल्हड़पन
कुछ दीवानापन
उससे भी बढ़कर
ज्यादा पागलपन
हताश निराश
पसीने से तरबतर
किंकर्तव्यविमूढ़
की मुद्रा में
बैठ जाना नदी तिरे
छोड़ स्मृति चिन्ह मन करता
कूद जाऊँ बहती नीरे
जब कभी देखता हूँ लाल गुलाब
तब तरंगित हो उठता है तन मन
छोड़ो अब ये सब बातें
ऐसा ही होता है यौवनापन

