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Arunima Bahadur

Inspirational

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Arunima Bahadur

Inspirational

क्यो रुकू मैं

क्यो रुकू मैं

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क्यो रुकूँ मैं,

क्यो घबराऊँ,

क्यो न अब मैं कदम बढ़ाऊ,

क्यो न खुद को शीश नवाऊँ,

बहुत रोकी उड़ान भी मैंने,

बस कुछ कुदृष्टियों से,

पर दोष मेरा ये तो नही,

कि मैं एक नारी हूँ,

शालीनता,संस्कारो से भी,

सदा दुष्टों पर भारी हूँ,

अपनी कुदृष्टियों से तुम,

सदा प्रहार करते हो,

न कुछ कभी नारी कहती,

पर सदा दुर्व्यवहार करते हो,

अब न रुकूँगी,

न थामुंगी अपने वेग को,

न रोक पाएगी तेरी दृष्टि,

मेरी अब ये उड़ान भी,

बन सशक्त बस बढ़ती चलूंगी,

बदलूंगी ये समाज भी,

कुछ असशक्तो की गिरती सोच का,

मैं करूंगी नाश भी,

रखो कितनी कुदृष्टि देह पर मेरी,

पर न मैं कभी रुकूँगी,

बन सशक्त विचार प्रवाह,

बस करूंगी हर कुमति का नाश भी।।


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