क्या यही प्यार है
क्या यही प्यार है
आजकल के बच्चे कहते,कि वो
माता पिता से बहुत प्रेम हैं करते।
पर अपनीे मंजिल स्वयं चुने वों,
और अपनी ही राह पर हैं चलते।
नहीं चाहिए सलाह इन्हें बड़ों की,
विवाह भी अपनी पसंद से करते।
माता पिता को तन्हा छोड़ घर में,
दोस्तों संग पार्टियों में मशरूफ रहते।
अपने देश में कमी नहीं नौकरी की,
फिर भी जाकर विदेश में हैं बसते।
बच्चों की खुशी में ही खुश होकर,
खामोशी से बुजुर्ग हर दर्द को सहते।
आशा थी जिनसे बुढ़ापे के सहारे की,
उनकी एक झलक पाने को तरसते।
कभी कभी तो बच्चों से मिले बिना,
माँ बाप इस दुनिया से कूच करते।
बच्चों से यही सवाल पूछना चाहूंगी,
क्या यही प्यार है,जिसका आप दम भरते।